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बुधवार, 15 सितंबर 2010

हंसने का मौक़ा

x5umpd_th.jpgसौंदर्य बढाने के लिए हंसना ज़रूरी है।

  हंसने का मौक़ा

तब फूलमतिया जी की शादी का रिश्ता पक्का नहीं हुआ था। बात-चीत चल रही थी। खदेरन लड़की देख कर पसंद करने गया था।
जब देखने का काम हो गया तो फुलमतिया जी की मां चम्पई देवी ने पूछा, “लड़का कैसा लगा?”

खदेरन फुलमतिया - Copy (2)फूलमतिया जी तो शुरु से वैसी ही थीं। जवाब देने के बदले प्रश्‍न दाग दिया, “तुम बताओ कैसा है?”

तो मम्मी चम्पई देवी बोलीं, “लड़का तो ठीक-ठाक है। पर, जब हंसता है तो इसके दांत बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते।”

खदेरन फुलमतिया - Copy (2) यह सुन फुलमतिया जी बोलीं, “ तू चिंता मत कर! वैसे भी मैं शादी के बाद इसे हंसने का मौक़ा कब दूंगी!”

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24 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा !! सही कहा. खदेरन शादी से पहले जितना हँसना है उतना हस लो, बाद में मौका नहीं मिलने वाला

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  2. वाह! क्या बात है! बहुत खूब!

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  3. यह मानवाधिकार हनन का मामला नहीं होगा क्या?

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  4. हा... हा... हा... हा.... हा... हा... हा... हा....
    चलो भाई, अभिये खुल कर हंस लिया जाए.... बाद का क्या भरोसा........!

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  5. हा हा हा हा हा सही बात है ! मगर फिर भी आपके ब्लॉग पर हसने का मौका मिल ही जाता है !

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  6. राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो
    Participate in Poll
    Visit http://biharicomment.blogspot.com

    Thnx

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  7. हाहा.. सही है!!
    सच्चाई कहाँ छुपी रहती है?

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  8. सोच में हूँ आपके उनका क्या हाल होगा ?:)

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  9. nahi aisa kuch nhi hain.......husband hasna chahe to has sakta hain,but vo apni patni ko khush dekhna chahata hai so dukhi rahta hain.

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