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मंगलवार, 21 सितंबर 2010

उपाय!

उपाय!

खदेरन फुलमतिया भगावन की नालायकी से तंग फुलमतिया जी ने एक दिन अपने पति खदेरन से कहा, “सुनो जी! भगावन पैसे बहुत उड़ाने लगा है! जहां भी रखो खोज लेता है और खर्च कर देता है। क्‍या किया जाए?”

खदेरन फुलमतिया - Copy खदेरन ने उपाय बताते हुए कहा, “नालायक की किताब में पैसे रख दो, इम्‍तहानों तक रूपये सुरक्षित रहेंगे। ”

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई बहुत ही शानदार तरीका है!

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  2. वहा इसे कहते है दिमाग लगना |

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  3. चलो मैं तो आज से ही अमल में ले आती हूँ

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  4. Bada hi nek kaam kar rahi hain aap to... bahut pasand aaya aapka hatke blog... :)

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
    काव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

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  6. बहुत उम्दा

    हा... हा ... हा ...हा...हा.. हा..

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