हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से श्वसन तंत्र, पेट, पीठ और चेहरे की मांसपेशियां चुस्त-दुरुस्त रहती हैं। |
मारधाड़फुलमतिया जी से बार-बार निवेदन कर खदेरन उनको फ़िल्म दिखाने ले गया। सिनेमा हॉल में खदेरन को नींद आ गई। कुछ ही देर में वह खर्राटे भरने लगा। खर्राटे ले रहे पति को जगाते हुए फुलमतिया जी बोलीं, “इतनी अच्छी फ़िल्म चल रही है और तुम सो रहे हो?”खदेरन ने सफ़ाई देते हुए कहा, “क्या खाक अच्छी फ़िल्म है? जिस फ़िल्म में मारधाड़ न हो वह भी कोई फ़िल्म है?”फुलमतिया जी का तेवर चढा, बोलीं, “मारधाड़ ही चाहिए थी, तो घर पर बताते, यहां आने की क्या ज़रूरत थी!” |
फ़ॉलोअर
शनिवार, 31 जुलाई 2010
मारधाड़
शुक्रवार, 30 जुलाई 2010
नापसंद
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …
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नापसंदखदेरन पर फुलमतिया जी बरस पड़ीं। उसकी कई ऐसी बातें थी जो फुलमतिया जी को अच्छी नहीं लगती थी। बहुत देर तक, बहुत कुछ सुनने के उपरांत खदेरन बोल पड़ा, “फुलमतिया जी! अब आप मुझे नापसंद करने लगी हैं।”फुलमतिया जी ने जवाब दिया, “अब नहीं, … मुझे तो तुम शुरु से ही नापसंद थे, ….”खदेरन को विश्वास नहीं हुआ, उसने पूछा, “क्या…?”फुलमतिया जी बोलीं, “हां, शुरु से, पर वो तो मेरी मां ने समझाया …..”खदेरन को उत्सुकता हुई, पूछा, “क्या समझाया था आपकी मां ने?”फुलमतिया जी ने बताया, “यही कि पति मुर्ख हो, तो ज़िन्दगी बड़े आसानी से कट जाती है!” |
गुरुवार, 29 जुलाई 2010
हर ग़म
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से फेफड़ों का एक्सरसाइज़ हो जाता है जो फेफड़ों के लिए लाभदायक होता है। |
हर ग़म |
उस दिन फिर खदेरन अपने दोस्तों के साथ पी ली। पी क्या ली, जम के पी। जब घर पहुंचा तो फुलमतिया जी को बसमतिया-बसमतिया कह कर बुलाने लगा। फुलमतिया जी के गुस्से की सीमा नहीं रही। चीखीं, “शराब पीने के बाद क्या तुम्हें मेरा नाम भी याद नहीं रहता है?”खदेरन टुन्न था। और जब लोग नशे में रहते हैं तो झूठ बोल नहीं पाते। खदेरन बोला, “पी लेने के बाद मैं हर ग़म भूल जाता हूं, मेरी जान।” |
बुधवार, 28 जुलाई 2010
ज़ुर्म
हंसना ज़रूरी है, क्योंकि …हंसने से चिंता, दुख, गुस्से, चिड़चिड़ेपन, आदि से निज़ात मिलती है। |
ज़ुर्मजज न्याय सिंह ने कठघरे में खड़े मुज़रिम ढिबरी दास से पूछा, “पिछली बार भी तुम 500 रुपए चुराने के ज़ुर्म में पकड़े गए थे?”मुज़रिम चोर ढिबरी दास ने कहा, “हुज़ूर! 500 रुपए से कितने दिन काम चलाया जा सकता है?” |
मंगलवार, 27 जुलाई 2010
तुम्हारा क्या कहना है?
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि ….हंसने से मानसिक तनाव में कमी आती है। |
तुम्हारा क्या कहना है?एक दिन शाम के वक़्त फाटक बाबू गार्डेन में आराम चेयर पर आधा बैठे और आधा लेटे चाय की चुस्कियों का मज़ा ले रहे थे। इतने में खंजन देवी आ गईं और उनके बगल में बैठ कर आहें भरने लगीं।फाटक बाबू को अपने में ही मस्त देख बोलीं, “शादी से पहले तो तुम पड़ोस की छत से कूद कर मुझसे मिलने आते थे। अब तो तुम्हारे दिल में मेरे लिए ज़रा भी प्यार नहीं रहा।” फाटक बाबू को कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते देख बोलीं, “तुम्हारा क्या कहना है?”फाटक बाबू ने कहा, “कहना क्या है! अब तो जी चाहता है, उसी छत से नीचे कूद जाऊँ!!” |
सोमवार, 26 जुलाई 2010
अंतर
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि ….हंसता-मुस्कुराता चेहरा बहुत अच्छा लगता है! |
अंतरउसको नशा की आदत थी। वर्षों से वह नशा करता था।उसके एक बीवी थी। अब तो उसे याद भी नहीं कि कब उसकी शादी हुई थी।वह एक दिन अपने दीर्घ-कालीन अनुभव के आधार पर खदेरन को नशे और बीवी में फ़र्क़ समझा रहा था।”जानते हो नशे और बीवी में क्या अंतर है? चलो मैं ही बता देता हूं। सुबह होते-होते नशा ग़ायब हो जाता, लेकिन बीवी हमेशा सिर पर सवार रहती है!” |
रविवार, 25 जुलाई 2010
मेहमान
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …….हंसने से ख़ून बढ़ता है। |
मेहमानफाटक बाबू उस दिन तफ़रीह के मूड में थे। पर सुबह-सुबह ही कॉल बेल बजी और जब दरवाज़ा खोला तो सामने देखा बिन बुलाए मेहमान हैं, वह भि स-परिवार। खंजन देवी के शहर से।इस अचानक आए मुसीबतों (मेहमानों) का स्वागत करते हुए फाटक बाबू बोले, “आने से पहले फोन कर दिया होता।”पधारे मेहमानों ने जवाब दिया, “अगर फोन कर देते, तो आप घर में कैसे मिलते!” |
शनिवार, 24 जुलाई 2010
दो आंखें बत्तीस दांत
हंसना ज़रूरी है, क्योंकि …चार्ली चैपलीन कहते थे, ज़िन्दगी में सबसे बेकार दिन वह है जिस दिन आप नहीं हंसे। |
दो आंखें बत्तीस दांतउस दिन खंजन देवी ने दोपहर का भोजन फाटक बाबू को परोसा।
पहला निवाला फाटक बाबू के मुंह के अंदर गया तो यह जुमला बाहर आया, “भगवान ने तुम्हें दो-दो आंखें दी है, दाल से कंकड़ बीन नहीं सकती थीं?”इतना सुनना था कि खंजन देवी का प्यार उमड़ पड़ा, बोलीं, “भगवान ने तुमको भी तो बत्तीस दांत दिए हैं, तुम चबा नहीं सकते थे?” |
शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
इलाज़
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से मानसिक तनाव में कमी आती है। |
इलाज़
खदेरन की तबियत अचानक बिगड़ गई। पूरा बदन दर्द से टूट रहा था। बुखार भी उतरने का नम नहीं ले रहा था। पहुंचा डाक्टर उठावन सिंह क्लिनिक इलाज़ के वास्ते।
डाक्टर उठावन उसका पूरा चेक अप करने के उपरांत बोले, “मलेरिया है।”यह सुन कर खदेरन पूछ बैठा, “डॉक्टर साहब! मैं अच्छा तो हो जाऊँगा ना?”डाक्टर उठावन सिंह ने कहा, “हां! क्यों? तुम्हारे मन में यह प्रश्न क्यों आया?”खदेरन ने जवाब दिया, “जी मैंने सुना है कि कभी-कभी डॉक्टर मलेरीया का इलाज़ करता रह जाता है और मरीज़ टायफाइड से मर जाता है।”डाक्टर उठावन सिंह ने उसे आश्वस्त किया, “फ़िक्र मत करो। मेरे इलाज़ से मलेरिया का मरीज़ मलेरिया से ही मरता है।” |
गुरुवार, 22 जुलाई 2010
ग़लत समझ
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि ….हंसने से टी सेल्स की संख्या में वृद्धि होने से हृदय रोग की कम संभावना होती है। |
ग़लत समझएक दिन फाटक बाबू और खंजन देवी में सुबह-सुबह ही तकरार हो गई। और वह थमने की जगह बढ़ती ही गयी।कुछ देर बाद खंजन देवी सुबकने लगीं। सुबकते-सुबकते बोलीं, “काश! मैंने अपनी मां की बात मानी होती और आपसे शादी न की होती!”
फाटक बाबू पहले तो चौके, फिर बोले, “क्या…? कया कहा तुमने..? तुम्हारी मां ने मुझसे शादी न करने की राय दी थी?”
खंजन देवी बोलीं, “और नहीं तो क्या?”
फाटक बाबू अफसोस जताते हुए बोले, “हे भगवान! मैं आज तक उस महिला को कितना ग़लत समझ रहा था ….!” |
बुधवार, 21 जुलाई 2010
विल पॉवर
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से अल्सर, अर्थराइटिस, स्ट्रोक, डायबिटीज़ आदि के प्रभाव में कमी आती है! |
विल पॉवर बाज़ार में घूमते एक भिखारी की नज़र एक थुल - थुल काय धनाढ्य महिला पड़ी। वह उसके पास गया और बोला, “मैंने चार दिनों से कुछ नहीं खाया …”भिखारी की बात पूरी होने से पहले ही वह महिला बोल पड़ी, “काश! तुम्हारी जैसी विल पॉवर मेरी भी होती …..!” |
मंगलवार, 20 जुलाई 2010
दो बोल
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से ब्लडप्रेशर में कमी आती है। |
दो बोल
“प्यार अंधा बना देता है!”“शादी आंखें खोल देती है!!” |
सोमवार, 19 जुलाई 2010
उपहार
उपहार |
फुलमतिया जी का जन्मदिन था। |
रविवार, 18 जुलाई 2010
मेरी ज़िन्दगी..!
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …..उस दिन को बेकार समझो, जिस दिन आप हंसे नहीं।--- चेम्सफ़ोर्डइसलिए …हंसे, हंसाएं,दिन अच्छा बनाएं! |
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खदेरन की शादी को आज पांच साल हो गए।जब उसकी नई-नई शादी हुई थी तो उसके घर में पत्नी फुलमतिया जी के साथ उनका मोबाइल फोन भी आया था।खदेरन ने फुलमतिया जी का नंबर अपने मोबाइल मे सुरक्षित किया और नाम की जगह लिखा मेरी ज़िन्दगी!जब एक साल बीता शादी के तो उसने नाम की जगह लिखा मेरी पत्नी!! … और सुरक्षित कर लिया।दो साल जब शादी का हुआ तो नाम की जगह लिखा घर से!!!तीसरे साल पूरे होने पर लिखा हुक्मरान!!!!चौथे साल की समाप्ति पर लिखा हिटलर!!!!!आज उसने, यानी पांच साल पूरा होने पर लिखा है, .. रॉंग नम्बर!!!!!! |
शनिवार, 17 जुलाई 2010
ज़रा पी-पी बजा दो…!
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …..एक मुस्कान ही शांति की शुरुआत है!--- मदर टेरेसाहंसे मुस्कुराएं, शांति फैलाएं!! |
ज़रा पी-पी बजा दो…! |
खदेरन की पत्नी फुलमतिया ने एक दिन बाज़ार में हाथ दिखा कर बस रोकी।
बस के ड्राइवर ने पूछा, “कहां जाना है?”
फुलमतिया बोली, “जाना तो कहीं नहीं है!”
ड्राइवर चकित हो पूछा, “फिर बस क्यों रोकी?”
फुलमतिया ने कहा, “बच्चा रो रहा है। …. ज़रा पी-पी बजा दो!” |
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
घर को पकड़े रह
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …..25 % ऑक्सीजन का उपयोग मस्तिष्क करता है, शेष शरीर के दूसरे हिस्सों के काम आती है।हंसे-हंसायेंमस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन पहुंचाएं। |
घर को पकड़े रहदेर रात गये खदेरन शराब के नशे में धुत्त घर पहुँचा। अब ऐसी धृष्टता तो वह फुलमतिया जी के रहते हुए कर नहीं सकता था। फुलमतिया जी मायके गयी हुई थीं। सो उसे मौक़ा मिल गया और उसने दोस्तों के साथ पर्टी जमा ली। घर पहुँचने पर बड़ी देर तक वह दरवाज़े को चाबी से खोलने का प्रयत्न कर रहा था, पर उसे सफलता हासिल नहीं हो रही थी। दरवान खड़ा यह सब देख रहा था। वह पास आया और बोला, “लाइए साहब! दीजिए मुझे चाबी, मैं खोल देता हूँ।” खदेरन को ज़िद पड़ी थी, बोला, “नहीं, नहीं, चाबी तो मैं ही पकड़ूँगा, पर तू एक काम कर, ज़रा घर को पकड़े रह, ताकि दरवाज़ा हिले नहीं।” |
गुरुवार, 15 जुलाई 2010
प्रश्न और उत्तर
बुधवार, 14 जुलाई 2010
कितनी दूर है …?
कितनी दूर है …? |
एक दिन खदेरन को फाटक बाबू ने सिनेमा देखने का न्यौता दिया और कहा कि शाम की छह बजे वाली शो में प्रिया सिनेमा हॉल में मिलना।सज-धज कर खदेरन वक़्त से काफ़ी पहले घर से निकला। रास्ते में उसके कुछ दोस्त मिल गये और उन्हों ने पूछा कि वह कहां जा रहा है तो खदेरन ने सच-सच बता दिया। दोस्तों ने कहा अभी तो बहुत समय है, चल थोड़ी हो जाए। पर थोड़ी के चकार में थोड़ी ज़्यादा ही हो गई और हिचकियां लेता खदेरन प्रिया सिनेमा हॉल के लिए चल पड़ा। दोस्तो ने उसे बता या था कि यहां से सीधे जाना और गली के दूसरे साईड से सीधे चले जाना।डोलते-डालते खदेरन गली से जा रहा था। पर उसे कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा था, तो उसने एक राहगीर से पूछा, “हिच्च! भाई स्साहब! इस गली का दूसरा साइड किधर है?”राहगीर ने बताया, “उस तरफ़।”खदेरन बोला, “कमाल है! जब मैं उस तरफ़ था तो एक अन्य राहगीर ने कहा कि इस तरफ़ है!!”खैर किसी तरह वह आगे बढा। थोड़ी दूर जाने के बाद उसे एक और राहगीर मिला। खदेरन ने उससे पूछा, “हिच्च! भाई स्साहब! प्रिया सिनेमा कितनी दूर है?”राहगीर ने बताया, “दस मिनट का पैदल रास्ता है।”खदेरन ने उसे ऊपर से नीचे देखा और बोला, “ये दस्स मिनट, हिच्च! तुम्हारी चाल वाला है या मेरी चाल वाला…?” |
मंगलवार, 13 जुलाई 2010
पिटाई …!
पिटाई …! |
खदेरन का बेटा भगावन बहुत दुखी दिख रहा था।
उसके दोस्त रिझावन ने उससे पूछा, “बहुत दुखी दिख रहे हो, क्या बात है?”
भगावन ने कहा, “आज मेरे पिता जी ने मेरी पिटाई कर दी।”
रिझावन, “अरे बहुत बुरा हुआ तेरे साथ। पर तेरी पिटाई क्यों हुई?”
भगावन ने बताया, “अरे कुछ नहीं, मैंने सिर्फ़ इतना ही कहा था पिता जी को, … “कमीने … फ़िल्म देखने चल रहे हो…” बस उन्होंने …….!!” |
सोमवार, 12 जुलाई 2010
क़िस्मत में ….
क़िस्मत में … … ! |
उलझाऊ, अरे वही, खदेरन का साला, बहुत दिनों से परेशान था कि उसकी शादी ही नहीं हो रही है। किसी ने उसे सलाह दी कि किसी पंडित से मिलो, किसी ज्तोतिष से सलाह मशवरा कर लो। उसे सलाह पसंद आई। पहुंच गया एक ज्योतिष ढकोसलानंद के पास।ज्योतिष ढकोसलानंद ने उससे पूछा, “कहो क्या बात है?”उलझाऊ ने बताया, “मेरी शादी क्यों नहीं हो रही? अब आप ही कुछ कीजिए!”ज्योतिष ढकोसलानंद ने कहा, “अब क्या बताऊँ उलझाऊ जी, कुदरत ने आपकी क़िस्मत मे दुख नहीं लिखा तो मैं क्या करूँ?” |
रविवार, 11 जुलाई 2010
मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!
मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!बात उन दिनों की है जब खदेरन की फुलमतिया से शादी की बात पक्की हो चुकी थी।
खदेरन ने फुलमतिया से पूछा, “तुम शादी के बाद अपने लिए नया घर तो नहीं मांगोगी?”फुलमतिया ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, “नहीं, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। तुम अपनी मां को नया घर दिला देना।” |
शनिवार, 10 जुलाई 2010
क्रॉस कर लोगे?
क्रॉस कर लोगे?
एक बार एक चींटी हाथी के ऊपर बैठ कर जा रही थी।
रास्ते में एक कच्चा पुल आया।तो चींटी बोली, “क्रॉस कर लोगे? … या मैं उतरूँ?” |
शुक्रवार, 9 जुलाई 2010
दिमाग का इस्तेमाल!
हंसने से कोशिकाओं और शरीर के विभिन्न अंगों को काफ़ी ऑक्सीजन मिलती है। इससे मस्तिष्क के दोनों भागों की सक्रियता, निर्णय लेने की क्षमता और स्मरणशक्ति भी बढती है। |
दिमाग का इस्तेमाल!खदेरन के सिर से बहते ख़ून को देख कर फाटक बाबू ने पूछा, “ये कैसे हुआ?”
खदेरन ने बताया, “मैं हाथों से ईंट तोड़ रहा था, तो फुलमतिया जी ने कहा अजी कभी तो दिमाग का भी इस्तेमाल कर लिया करो ….!” |
गुरुवार, 8 जुलाई 2010
छोड़ दूगा!
छोड़ दूगा!खदेरन रात को दो बजे गली में घूम रहा था। तभी हवलदार बुझावन सिंह आया और उसे पकड़ लिया।खदेरन डर के मारे रोने लगा। और बोला, “मैंने कुछ नहीं किया। मुझे छोड़ दो। मैं घर चला जाता हूं। मुझे छोड़ दो।”हवलदार बुझावन सिंह बोले, “छोड़ दूंगा! छोड़ दूंगा॒॒!! पहले मुझे गली पार करवाओ, डर लग रहा है भाई!!” |
बुधवार, 7 जुलाई 2010
हे भगवान!
हे भगवान!फाटक बाबू डायनिंग टेबुल पर बैठे खाना खाने। खंजन देवी ने खाना परोसा। पहला निवाला ही लिया कि गुस्से में फाटक बाबू चीखे, “आज तुमने कैसा खाना बनाया बनाया है, एकदम गोबर जैसा।”खंजन देवी अपना सर पीटते हुए बोलीं, “हे भगवान! इस आदमी ने क्या-क्या चखा हुआ है?” |
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
क्या कारण है?
क्या कारण है?एक बार खदेरन आधी रात को सड़क पर घूम रहा था। इधर-उधर। उसे इस तरह घूमता देख एक पुलिस ने पकड़ लिया।पुलिस इंस्पेक्टर ने उससे पूछा, “इतनी रात गए सड़क पर इधर-उधर घूम रहे हो, क्या कारण है?”खदेरन ने कहा, “यदि मेरे पास कोई कारण होता तो मैं कभी का घर पहुँच कर उसे अपनी पत्नी फुलमतिया जी के सामने पेश कर चुका होता।” |
सोमवार, 5 जुलाई 2010
सबसे बड़ी मुसीबत
सबसे बड़ी मुसीबतफाटक बाबू से खदेरन ने पूछा, “आप अपने बटुए में हमेशा अपनी पत्नी की फोटो क्यों रखते हैं?”
फाटक बाबू ने बताया, “जब भी मेरे सामने कोई मुसीबत आती है, तो वह कितनी ही बड़ी क्यों न हो, अपना बटुआ निकालता हूँ, यह फोटो देखता हूँ और खुद को तसल्ली देता हूँ – सबसे बड़ी मुसीबत को तो मैं जेब में लेकर घूमता हूँ, यह क्या है? बस सब ठीक हो जाता है।” |
रविवार, 4 जुलाई 2010
नाईट ड्रेस
नाईट ड्रेसएक गधे ने फाटक बाबू को लात मारी और भाग गया ...फाटक बाबू उसके पीछे भागे ......गधा तो मिला नहीं लेकिन जेब्रा मिल गया....फाटक बाबू उसे जोर - जोर से मारने लगे." बदमाश ! नाईट ड्रेस पहन के उल्लू बनाता है ..." |
शनिवार, 3 जुलाई 2010
पशुओं के डॉक्टर
एक व्यक्ति पशुओं के डॉक्टर के पास पहुंचा और कहा कि तबियत ठीक नहीं लग रही है, दिखाना है।
डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे सामने वाले क्लीनिक में जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं। वहां देखिए, लिखा हुआ है।
रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।
डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज नहीं करता।
रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।
इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर मेरे पास क्यों आए।
रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।
डॉक्टर- अच्छा बताओ।
रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।
सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।
चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।
सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।
रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।
गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।
मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।
फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।
अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ बंदर की तरह खेलता हूं।
बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।
डॉक्टर ने पूछा – पत्रकार हो क्या?
रोगी- जी
डॉक्टर- इतनी लंबी कहानी क्या बता रहे थे। पहले ही बता देते। वाकई, तुम्हारा इलाज मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता। इधर आओ। मुंह खोलो.. आ करो... जीभ दिखाओ....
शुक्रवार, 2 जुलाई 2010
मिस कॉल
हंसी के बारे में …हंसना एक दवा है। हंसी का हमारे शरीर और मन दोनों पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब हम हंसते हैं तो हमारे दिमाग से एक हॉर्मोन निकलती है। इस हॉर्मोन का नाम है एन्डोरफिन। यह हॉर्मोन हमारे शरीर को ऊर्जा से भर देता है। |
हास्य फुहार : मिस कॉलखंजन देवी फाटक बाबू को बता रही थी, “खदेरन एक नम्बर का कंजूस है।”फाटक बाबू, “अच्छा! पर तुम्हें कैसे पता?”खंजन ने समझाया, “ अब उसके कंजूसी का नमूना देखिए। एक बार उसके घर में आग लग गई। पर वह अपनी कोशिशों के बावज़ूद भी घर को जलने से बचा नहीं पाया।”फाटक बाबू आश्चर्य से बोले, “क्यों?”खंजन देवी ने बताया, “क्योंकि वो सारी रात फायब्रिगेड वालों को मिस कॉल ही मारता रहा।” |