हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …हंसने से फेफड़ों का एक्सरसाइज़ हो जाता है जो फेफड़ों के लिए लाभदायक होता है। |
हर ग़म |
उस दिन फिर खदेरन अपने दोस्तों के साथ पी ली। पी क्या ली, जम के पी। जब घर पहुंचा तो फुलमतिया जी को बसमतिया-बसमतिया कह कर बुलाने लगा। फुलमतिया जी के गुस्से की सीमा नहीं रही। चीखीं, “शराब पीने के बाद क्या तुम्हें मेरा नाम भी याद नहीं रहता है?”खदेरन टुन्न था। और जब लोग नशे में रहते हैं तो झूठ बोल नहीं पाते। खदेरन बोला, “पी लेने के बाद मैं हर ग़म भूल जाता हूं, मेरी जान।” |
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गुरुवार, 29 जुलाई 2010
हर ग़म
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हाहाहाहाहहाहाहाहाहाहहा...........पीने के बाद हर कोई फिर से शेर हो जाता है, और शेर को डर काहे का। हाहाहाहाहाहाहहाहा
जवाब देंहटाएंHi..
जवाब देंहटाएंHahaha..
Sundar!
Deepak..
हा हा!! आज तो पड़ेगी.
जवाब देंहटाएंहा हा हा !! आज तो खदेरन गया काम से
जवाब देंहटाएंऔर जिस दिन पत्नी भी अपना गम इसी तरह भूल गयी तो ...हा हा हा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर ...!
नशे का सच।
जवाब देंहटाएंha.. ha... ha... ha... !
जवाब देंहटाएंhahahahaha
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
मज़ेदार!!!:)
जवाब देंहटाएंha ha ha जब लोग नशे में रहते हैं तो झूठ बोल नहीं पाते। kahi aisa to nahi ki galti se gharwali ko baharwali ke nam se bula liya ho ha ha ha
जवाब देंहटाएंWah,maja aagaya.ek gudgudati hui vyangatmak rachna.ha-ha-ha.
जवाब देंहटाएंpoonam
:)
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