हंसना ज़रूरी है, क्योंकि …चार्ली चैपलीन कहते थे, ज़िन्दगी में सबसे बेकार दिन वह है जिस दिन आप नहीं हंसे। |
दो आंखें बत्तीस दांतउस दिन खंजन देवी ने दोपहर का भोजन फाटक बाबू को परोसा।
पहला निवाला फाटक बाबू के मुंह के अंदर गया तो यह जुमला बाहर आया, “भगवान ने तुम्हें दो-दो आंखें दी है, दाल से कंकड़ बीन नहीं सकती थीं?”इतना सुनना था कि खंजन देवी का प्यार उमड़ पड़ा, बोलीं, “भगवान ने तुमको भी तो बत्तीस दांत दिए हैं, तुम चबा नहीं सकते थे?” |
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शनिवार, 24 जुलाई 2010
दो आंखें बत्तीस दांत
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हा हा! मजेदार!! नहले पर दहला.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंमज़ेदार! हा-हा-हा....
जवाब देंहटाएं...हा हा! मजेदार!!
जवाब देंहटाएंतर्क तो सही ही है
जवाब देंहटाएंसही बात है।
जवाब देंहटाएंsahi bat kabhi patiyo ko samjh me hi nhi aati ha ha ha
जवाब देंहटाएंSahi palatwaar..
जवाब देंहटाएंrochak
बेचारा चार्ली..
जवाब देंहटाएंजाने कैसे जीया होगा अपनी जिंदगी...
कहीं मिल गया तो कहेगा...
जवाब देंहटाएंतुम्हें भी तो 32 डांट दिए थे....
चबा नहीं सकते थे........................?????????????????
फिर खुद नहीं हंस सकेगा...
जवाब देंहटाएंरो देगा .....
हा हा! मजेदार!! नहले पर दहला
जवाब देंहटाएंaur log kaheinge...
जवाब देंहटाएंjaane dijiye...
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