एक व्यक्ति पशुओं के डॉक्टर के पास पहुंचा और कहा कि तबियत ठीक नहीं लग रही है, दिखाना है।
डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे सामने वाले क्लीनिक में जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं। वहां देखिए, लिखा हुआ है।
रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।
डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज नहीं करता।
रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।
इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर मेरे पास क्यों आए।
रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।
डॉक्टर- अच्छा बताओ।
रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।
सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।
चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।
सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।
रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।
गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।
मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।
फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।
अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ बंदर की तरह खेलता हूं।
बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।
डॉक्टर ने पूछा – पत्रकार हो क्या?
रोगी- जी
डॉक्टर- इतनी लंबी कहानी क्या बता रहे थे। पहले ही बता देते। वाकई, तुम्हारा इलाज मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता। इधर आओ। मुंह खोलो.. आ करो... जीभ दिखाओ....
दुखती रग या चुटकुला?
जवाब देंहटाएंवाह........वाह.......सुन्दर पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंसद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
are patrkaro ke ye haal hote hai kya.....?
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ........
जबरदस्त :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा ………………अविश्वसनीय।
जवाब देंहटाएंबहुतै गाजब ढा दिया आपने, जितनी तारीफ की जाए कम है.....
जवाब देंहटाएं................
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जोर से पटका है और कहती हैं कि ठहाका लगाईए। लेकिन मैं कुछ देर तक ठहाका लगा सकता हूं हाहाहाहहाहाहाहाहाहाहाहा...क्योंकी खरगोश की तरह डरपोक नहीं होना पड़ता. बॉस के सामने दुम नहीं हिलानी पड़ती..हाहाहाहाहाहहाहाहाहाहाहा
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहंसी के मारे चीख निकल गई ----ई--ई
जवाब देंहटाएंha...ha...ha... !!!! patrakar hua bimaar !!!
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