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सोमवार, 26 जुलाई 2010

अंतर

हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि ….

हंसता-मुस्कुराता चेहरा बहुत अच्छा लगता है!

अंतर

उसको नशा की आदत थी। वर्षों से वह नशा करता था।
उसके एक बीवी थी। अब तो उसे याद भी नहीं कि कब उसकी शादी हुई थी।
वह एक दिन अपने दीर्घ-कालीन अनुभव के आधार पर खदेरन को नशे और बीवी में फ़र्क़ समझा रहा था।
”जानते हो नशे और बीवी में क्या अंतर है? चलो मैं ही बता देता हूं। सुबह होते-होते नशा ग़ायब हो जाता, लेकिन बीवी हमेशा सिर पर सवार रहती है!”

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही!


    जय हो खदेरन बाबा की.

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  3. सचमुच आज हंसी के किसी कारण का होना बहुत जरुरी था ...:):)

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  4. ओहो हो हो हो हो हो हो ! हा हा हा हा हा हा !

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  5. ओहो हो हो हो हो हो हो ! हा हा हा हा हा हा !

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  6. बीवी का नशा, जो सुबह भी आदमी को पिंड नहीं छोड़ता! बहुत खूब!!

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  7. बीवियों कि इस दशा के लिए कौन जिम्मेदार है, बीवियां या सामाजिक व्यवस्था ?

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  8. Log kahte hain..

    Wife...worries invited for ever...

    Par agar patni na ho to ye kaun batayega ki aap kaun sa kaam nahin kar sakte...aapne kaun kaun se vaade abhi pure nahin kiye...aap bewafa kyon hain...aap ye...aap wo....hahaha

    Nice joke...

    Kisi ne poochha Bivi aur TV main kya antar hai...

    to ek aadmi ne jawab diya...rahte donon ghar main hain, entertainment aur samaj se jod kar rakhte hain...par TV ko jab chahe band kar do...hahaha..

    Deepak

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  9. :)

    और...


    सुबह उसकी शक्ल पर चस्पां थे बीवी के हुनर
    रात घर पर देर से था जो गया पीने के बाद...

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