इलाज़ खदेरन की तबियत अचानक बिगड़ गई। पूरा बदन दर्द से टूट रहा था। बुखार भी उतरने का नम नहीं ले रहा था। पहुंचा डाक्टर उठावन सिंह क्लिनिक इलाज़ के वास्ते। डाक्टर उठावन उसका पूरा चेक अप करने के उपरांत बोले, “मलेरिया है।” यह सुन कर खदेरन पूछ बैठा, “डॉक्टर साहब! मैं अच्छा तो हो जाऊँगा ना?” डाक्टर उठावन सिंह ने कहा, “हां! क्यों? तुम्हारे मन में यह प्रश्न क्यों आया?” खदेरन ने जवाब दिया, “जी मैंने सुना है कि कभी-कभी डॉक्टर मलेरीया का इलाज़ करता रह जाता है और मरीज़ टायफाइड से मर जाता है।” डाक्टर उठावन सिंह ने उसे आश्वस्त किया, “फ़िक्र मत करो। मेरे इलाज़ से मलेरिया का मरीज़ मलेरिया से ही मरता है।” |
हा हा!! चलो कम से कम डायगनोसिस तो सटीक है.
जवाब देंहटाएंशुक्र है ...!
जवाब देंहटाएंBadi meharbaani hai daktar saheb ki...!!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
वाह वाह जी।
जवाब देंहटाएंekdum pakka ilaaz hai ! ha... ha... ha... ha... !!
जवाब देंहटाएंमजेदार इलाज।
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सबसे खूबसूरत आँखें।
व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।
marana to tay hai ha ha ha
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंhttp://chokhat.blogspot.com
वाह!हा-हा-हा...
जवाब देंहटाएंहंसना बिल्कुल ज़रूरी है। इतने अच्छे हास्य पर तो और भी ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
वाह!हा-हा-हा.
जवाब देंहटाएंBahut samajhdar daktar tha----ha--ha----ha----
जवाब देंहटाएंमजेदार इलाज।
जवाब देंहटाएंचलो योग्यता प्रमाणित हो गयी.
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