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बुधवार, 14 जुलाई 2010

कितनी दूर है …?

कितनी दूर है …?

एक दिन खदेरन को फाटक बाबू ने सिनेमा देखने का न्यौता दिया और कहा कि शाम की छह बजे वाली शो में प्रिया सिनेमा हॉल में मिलना।

सज-धज कर खदेरन वक़्त से काफ़ी पहले घर से निकला। रास्ते में उसके कुछ दोस्त मिल गये और उन्हों ने पूछा कि वह कहां जा रहा है तो खदेरन ने सच-सच बता दिया। दोस्तों ने कहा अभी तो बहुत समय है, चल थोड़ी हो जाए। पर थोड़ी के चकार में थोड़ी ज़्यादा ही हो गई और हिचकियां लेता खदेरन प्रिया सिनेमा हॉल के लिए चल पड़ा। दोस्तो ने उसे बता या था कि यहां से सीधे जाना और गली के दूसरे साईड से सीधे चले जाना।

डोलते-डालते खदेरन गली से जा रहा था। पर उसे कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा था, तो उसने एक राहगीर से पूछा, “हिच्च! भाई स्साहब! इस गली का दूसरा साइड किधर है?”

राहगीर ने बताया, “उस तरफ़।”

खदेरन बोला, “कमाल है! जब मैं उस तरफ़ था तो एक अन्य राहगीर ने कहा कि इस तरफ़ है!!”

खैर किसी तरह वह आगे बढा। थोड़ी दूर जाने के बाद उसे एक और राहगीर मिला। खदेरन ने उससे पूछा, “हिच्च! भाई स्साहब! प्रिया सिनेमा कितनी दूर है?”

राहगीर ने बताया, “दस मिनट का पैदल रास्ता है।”

खदेरन ने उसे ऊपर से नीचे देखा और बोला, “ये दस्स मिनट, हिच्च! तुम्हारी चाल वाला है या मेरी चाल वाला…?”

9 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी अपनी चाल का फर्क है ...:):):)

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