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सोमवार, 12 जुलाई 2010

क़िस्मत में ….

क़िस्मत में … … !

उलझाऊ, अरे वही, खदेरन का साला, बहुत दिनों से परेशान था कि उसकी शादी ही नहीं हो रही है। किसी ने उसे सलाह दी कि किसी पंडित से मिलो, किसी ज्तोतिष से सलाह मशवरा कर लो। उसे सलाह पसंद आई। पहुंच गया एक ज्योतिष ढकोसलानंद के पास।

ज्योतिष ढकोसलानंद ने उससे पूछा, “कहो क्या बात है?”

उलझाऊ ने बताया, “मेरी शादी क्यों नहीं हो रही? अब आप ही कुछ कीजिए!”

ज्योतिष ढकोसलानंद ने कहा, “अब क्या बताऊँ उलझाऊ जी, कुदरत ने आपकी क़िस्मत मे दुख नहीं लिखा तो मैं क्या करूँ?”

6 टिप्‍पणियां:

  1. अरे पंडित जी हैं, दान दक्षिणा ले कर कुछ तो उपाय करेंगे!!

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  2. ख़ुदा की देन है - जिसको नसीब हो जाए
    हरेक दिल को ग़मे-जाविदाँ नहीं मिलता
    बड़ी सीरियस बात है,
    और लोग हँस रहे हैं!
    (हम भी)

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