एक विज्ञान पर आधारित फ़िल्म फाटक बाबू और खदेरन देख आए। काफ़ी प्रभावित हुए। दोनों के मन में आया ‘क्यों न हम भी कुछ वैज्ञानिकों जैसा काम कर जाएं!’
खदेरन बोला, “फाटक बाबू इसके लिए तो पहले रिसर्च करना होगा!”
फाटक बाबू ने हामी भरी, “बिल्कुल!! चलो मेढक पकड़ लाओ! सब साइंस वाला तो वहीं से शुरु करता है।”
खदेरन राणा टिग्रिना पकड़ लाया। फाटक बाबू बोले, “मैं एक्स्पेरिमेंट करता हूं, तुम रिज़ल्ट नोट करते जाना, और फिर फाइनली कुछ निष्कर्ष निकाला जाएगा!”
खदेरन ने कहा, “ओ.क्के.!!”
फाटक बाबू ने मेढक की एक टांग काटी, और कहा, “कूदो!”
मेढक कूदा !
खदेरन ने नोट किया, “मेढक ३.५ फ़ीट कूदा!”
फाटक बाबू ने मेढक की दूसरी टांग काटी, और कहा, “कूदो!!”
मेढक कूदा!!
खदेरन ने नोट किया, “मेढक २.५ फ़ीट कूदा!”
फाटक बाबू ने मेढक की तीसरी टांग काटी, और कहा, “कूदो!!”
मेढक कूदा!!!
खदेरन ने नोट किया, “मेढक १.५ फ़ीट कूदा!”
फाटक बाबू ने मेढक की चौथी टांग काटी, और कहा, “कूदो!!”
मेढक नहीं कूदा …. !!!!
खदेरन ने चिल्लाकर कर रिज़ल्ट बताया, “जब मेढक की चौथी टांग काट दी जाती है, तो वह बहरा हो जाता है!!!”
फुलमतिया जी और खंजन देवी की ख़ुशी का ठिकाना न रहा!! चिला पड़ीं, “हैप्पी न्यू ईअर!!!”