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शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

आज सिर्फ़ एक चित्र…

आज सिर्फ़ एक चित्र…


ये ई-मेल से प्राप्त हुआ। सोचा आपसे शेयर कर लूं।


बताइए इस चित्र का शीर्षक क्या हो? …. शीर्षक ऐसा हो जिससे हास्य का सृजन हो…

पति देखभाल केन्द्र
एक शीर्षक तो मैं ही दे रही हूं …

राह की दुशवारियों से, अब कोई शिकवा नहीं

साथ जो तेरा मिला, मेरी राहें आसान हो गई

12 टिप्‍पणियां:

  1. दो बोतलों ने पतियों के क्रेच को बेलेंस कर रखा है, बहुत बड़ी बात है.

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  2. (शीर्षक देना भूल गया था. अब दे रहा हूँ)

    'सोशली एक्टिव लोगों का क्लीनिक'

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  3. न बाबा न ये तो बहुत खतरनाक है। इस पर हास्य? शुभकामनायें

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  4. तुम इतनी देर लगाया न करो आने में
    कि भूल जाये कोई इन्तिज़ार करना भी

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  5. जब भी कार से यात्र करों
    "दो पानी की बोतलें साथ जरूर ले जाना!"

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  6. हम बैण्ड बजाते हैं हँसकर, हसबैण्ड जिसे तुम कहते हो,
    शॉपिंग कर लो या ऐश करो, बस पीने का परबंध करो.
    पर कोई शिकायत मत करना, गर आदत इनकी बिगड़ जाए
    या प्रेम पाश में बाँध रखो, या शॉपिंग अपनी बंद करो.

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  7. जब शॉप्पिंग करना हो तो हमारी श्रीमतीजी के पास इस से भी बढिया और किफ़ायती तरीका है, अपनी अनुपस्थिति में मेरे देखबाल का।
    एक फ़्लास्क में गर्म कॉफ़्फ़ी और पॉप-कॉर्न का एक बडा पैकेट टेबल पर छोड जाती है और लैपटॉप ऑन करके, मित्रों के ब्लॉग साईट के shortcut icons पर click करके निकल जाती है।
    घंटो बाद जब लौटती है तो हम यह भी पूछना भूल जाते हैं कि कितना खर्च किया।

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