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शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

चोर अंकल!

चोर अंकल!

एक दिन खदेरन के घर में चोर घुस आया। घर के सभी लोग बेसुध होकर सोए थे।

तभी भगावन की आंख खुल गई। उसने चोर को देखा। उसकी नीयत भांपते भगावन को देर न हुई। वह बोला, “चोर अंकल! आपने अपने बोरे में रखकर अगर मेरे स्‍कूल बैग और पुस्‍तकें न ले गए तो मैं घर के सारे लोगों को जगा दूंगा!”

21 टिप्‍पणियां:

  1. बस्ते का वज़न कम करने का आखिर यही तरीका बाकी बचा बच्चों के पास. शिक्षा मंत्री अभी सो रहे हैं. बच्चों की दुआएँ लगेंगी इस ब्लॉग को.

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  2. करो तो पुस्तकों की चोरी
    यहाँ भी तो कुछ फुर्सत मिले

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  3. अब वो भी क्या करें, बोझ ही इतना ज्यादा है...

    मेरे ब्लॉग पर इस बार लानत है ऐसे लोगों पर....

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  4. भगावन ही जान सकता है,उस भार की पीडा॥ :-)
    आंख खुली तो मौका हाथ लगा, सजगता के लाभ।

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  5. ये भगावन जरूर आने वाले कल का सन्ता-बन्ता है :)

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  6. वह बोला, “चोर अंकल! आपने अपने बोरे में रखकर अगर मेरे स्‍कूल बैग और पुस्‍तकें न ले गए तो मैं घर के सारे लोगों को जगा दूंगा!”

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  7. हा हा!! भगावन खुद ही मदद कर देगा रखने में. :)

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  8. सही बात है, उसका ख्याल किसी को नहीं।

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