भगावन और रिझावन एक दिन स्कूल से छुट्टी के बाद घर वापस आ रहे थे। तो गर्मी पर चर्चा चल पड़ी।
भगावन ने रिझावन से पूछा, “यार जब तुझे ज़्यादा गर्मी लगती है तो उस समय तू क्या करता है?”
रिझावन, “यार, ए.सी. के पास बैठ जाता हूं।”
भगावन, “गर्मी फिर भी लगे तो…..?”
रिझावन, “… तो मैं ए.सी. ऑन कर लेता हूं।”
nice
जवाब देंहटाएंहा हा!
जवाब देंहटाएंक्या दिमाग है
जवाब देंहटाएंwhat an Idea sir ji!!
जवाब देंहटाएंओह...:)
जवाब देंहटाएंइसे कहते है ' ए सी ' की ' ते सी '
जवाब देंहटाएंवाह ये आईडिया मुझे क्यूँ नहीं आया...आज से ही पंखे के सामने बैठना शुरू करता हूँ....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर इस बार
उदास हैं हम ....
वाह :)
जवाब देंहटाएंsahi jawab
जवाब देंहटाएंnice trick......lol:
जवाब देंहटाएंअब तो सरदी होने लगी है!
जवाब देंहटाएंAcchi prastuti
जवाब देंहटाएंऊर्जा की बचत का नायाब तरीका :))
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंहा हा।
जवाब देंहटाएंहा हा ..बढ़िया है ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी पर - ये अंधेरों में लिखे हैं गीत!
मनोज पर -आंच – समीक्षा डॉ. जे. पी. तिवारी की कविता ‘तन सावित्री मन नचिकेता’
बहुत बढ़िया ......
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंयथा नाम तथा गुणा ।
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जवाब देंहटाएं.
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हा हा हा हा,
हमें तो जब गर्मी लगती है तो रिझावन को याद कर लेते हैं... :)
मजा आ गया. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
ha ha ha
जवाब देंहटाएंwow.. kya baat hai... rijhawan ji ki dimaag ki batti tubelight kee tarah der se chamakti hai...
जवाब देंहटाएंhahahaha.......bahut badiyaa
जवाब देंहटाएंwakaye hansi aa gayee.
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