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सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

ग़लती की सज़ा

ग़लती की सज़ा

तब उनकी नई-नई शादी हुई थी और फुलमतिया जी ने अपनी मां चम्पई देवी को फोन किया, “मां! मेरे पति खदेरन ने फिर मुझसे झगड़ा किया। अब मैं यहां एक पल भी नहीं रुक सकती। मैं आ रही हूं तुम्हारे पास।”

फुलमतिया जी की मां चम्पई देवी ने दिलासा देते हुए कहा, “नहीं बेटी! तू बिलकुल मत घबड़ा … खदेरन को उसकी ग़लती की सज़ा ज़रूर मिलेगी! मैं आ रही हूं तुम्हारे साथ रहने के लिए ……!”

15 टिप्‍पणियां:

  1. 'टूटे दाँत' नहीं मिले. कहाँ गए?

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  2. हा..हा..हा..इससे बड़ी सजा और क्या हो सकती है भला।

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