ग़लती की सज़ा |
तब उनकी नई-नई शादी हुई थी और फुलमतिया जी ने अपनी मां चम्पई देवी को फोन किया, “मां! मेरे पति खदेरन ने फिर मुझसे झगड़ा किया। अब मैं यहां एक पल भी नहीं रुक सकती। मैं आ रही हूं तुम्हारे पास।” फुलमतिया जी की मां चम्पई देवी ने दिलासा देते हुए कहा, “नहीं बेटी! तू बिलकुल मत घबड़ा … खदेरन को उसकी ग़लती की सज़ा ज़रूर मिलेगी! मैं आ रही हूं तुम्हारे साथ रहने के लिए ……!” |
बहुत अच्छे ....
जवाब देंहटाएंमज़ेदार !!
हे मेरे भगवान! :))
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, लाजबाब !
जवाब देंहटाएंबच लो!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार! हाहाहा...
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
आयी हो तुम कौन परी..., करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
'टूटे दाँत' नहीं मिले. कहाँ गए?
जवाब देंहटाएं:-) मज़ेदार!!!!
जवाब देंहटाएंजय हो सासू की, खदेरन की।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार.........
जवाब देंहटाएंmajedar
जवाब देंहटाएंha... ha... ha... ha.... !
जवाब देंहटाएंसही सजा ...:):):)
जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..इससे बड़ी सजा और क्या हो सकती है भला।
जवाब देंहटाएंखदेरन की तो शामत आ गई ...
जवाब देंहटाएंइतनी बड़ी सजा...बाप रे..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
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