सर दर्द |
पढते हुए अखबार एक खबर पर खदेरन की नज़र गई जो लिखी थी बात वह मन में घर कर गई मन ही मन सोचा ‘फुलमतिया जी को भी यह बता ही दूं मैं भी रखता हूं अकल जता ही दूं!’ बोला “जानती हैं आप डॉक्टरों का शोध यह बताता है कि रोग शरीर के कमज़ोर हिस्सों पर ही क़ब्ज़ा जमाता है!” फुलमतिया जी ने नज़रें घुमाई खदेरन की आखों से आंखें मिलाई बोली, “अच्छा, सच कहते हो! तभी कहूं कि तुम हमेशा क्यों सर दर्द की शिकायत करते रहते हो!!” |
इसके बाद खदेरन ने मुकेश का गाना गाया-
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ ये क्या किया मैंने
मुफ्त सरदर्द ले लिया मैंने
nice
जवाब देंहटाएंडाक्टर का शोध सही है
जवाब देंहटाएं:-) हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रहा लतीफा!
जवाब देंहटाएंहा हा।
जवाब देंहटाएंये तो ब्रेन ट्यूमर से मरनेवाले की बीवी के खुश होने की दास्तान हो गई.. खुशी इस बात की कि चलो इनके सिर में ब्रेन तो था!!
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत सही...:)
जवाब देंहटाएंBahut badiya
जवाब देंहटाएंकितनी अकल है अब पता चल गया होगा |
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंHi Hi Hi.....
जवाब देंहटाएंkavita ke style me hasaane ka andaz achchha hai:-):-):-)
बहुत अच्छे .......ही हीही
जवाब देंहटाएंमज़ेदार। अब आज से हमारे सर में दर्द कभी होगा ही नहीं।
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
हा हा हा…………मज़ेदार्।
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंbadhiya hai ..
बहुतै बढिया।
जवाब देंहटाएं................
..आप कितने बड़े सनकी ब्लॉगर हैं?
bahut badiya.....
जवाब देंहटाएंमजेदार
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएं