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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

सर दर्द

सर दर्द

पढते हुए अखबार
एक खबर पर खदेरन की नज़र गई
जो लिखी थी बात वह मन में घर कर गई

मन ही मन सोचा
‘फुलमतिया जी को भी यह बता ही दूं
मैं भी रखता हूं अकल जता ही दूं!’

बोला “जानती हैं आप
डॉक्टरों का शोध यह बताता है
कि रोग शरीर के कमज़ोर हिस्सों पर ही
क़ब्ज़ा जमाता है!”

फुलमतिया जी ने नज़रें घुमाई
खदेरन की आखों से आंखें मिलाई
बोली, “अच्छा, सच कहते हो!
तभी कहूं कि तुम हमेशा
क्यों सर दर्द की शिकायत करते रहते हो!!”

20 टिप्‍पणियां:

  1. इसके बाद खदेरन ने मुकेश का गाना गाया-

    सोचता हूँ ये क्या किया मैंने
    मुफ्त सरदर्द ले लिया मैंने

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  2. ये तो ब्रेन ट्यूमर से मरनेवाले की बीवी के खुश होने की दास्तान हो गई.. खुशी इस बात की कि चलो इनके सिर में ब्रेन तो था!!

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  3. कितनी अकल है अब पता चल गया होगा |

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  4. मज़ेदार। अब आज से हमारे सर में दर्द कभी होगा ही नहीं।
    हा-हा-हा....

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