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रविवार, 31 अक्टूबर 2010

अठन्नी

बात तब की है जब भगावन एक साल का था।

एक दिन भगावन ने अठन्नी निगल ली। फुलमतिया जी ने खदेरन को बताया, “अजी सुनते हो! भगावन ने अठन्नी निगल ली!”

खदेरन अपनी धुन में मस्त था। बोला, “इसमें फ़िक्र करने की क्या बात है? आजकल अठन्नी में आता क्या है?”

18 टिप्‍पणियां:

  1. भगावन को कम-से-कम गिन्नी निगलनी चाहिए थी :))

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  2. गिन्नी निगलता तो खदेरन-फुलमतिया उसे हथेली पर लिए-लिए घूमते....डॉक्टरों के यहाँ.

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  3. वाकई आजकल अठन्नी में कुछ नहीं आता .. निगल लिया तो क्या!

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  4. ऊपर फोटो में फुलमतिया की हाथेली पर भगावन....अब ध्यान गया. यह फोटो किसी विश्व रिकार्ड से संबंधित है क्या?

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  5. खदेरन की बात ही निराली है .. अठन्‍नी के लिए परेशान होने की क्‍या जरूरत ??

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  6. aata to kuch nahi hai par jaaega jeevan, agar athanni gale mein atak jaae toh .... khaderan ko koi jagaooo ....

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  7. चिन्ता मत करो अब पचास का नोट निकाल लिया करेंगे!

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  8. अरे भई, बड़े-बड़े मंदिरों और पीठों मैं जाओ - वहाँ भगवान पता नहीं मुकुट और सिंहासन निगले बैठे हैं - आप अट्ठनी को रो रहे हैं..


    “दीपक बाबा की बक बक”
    क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
    .

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