किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
बात तब की है जब भगावन एक साल का था।
एक दिन भगावन ने अठन्नी निगल ली। फुलमतिया जी ने खदेरन को बताया, “अजी सुनते हो! भगावन ने अठन्नी निगल ली!”
खदेरन अपनी धुन में मस्त था। बोला, “इसमें फ़िक्र करने की क्या बात है? आजकल अठन्नी में आता क्या है?”
भगावन को कम-से-कम गिन्नी निगलनी चाहिए थी :))
गिन्नी निगलता तो खदेरन-फुलमतिया उसे हथेली पर लिए-लिए घूमते....डॉक्टरों के यहाँ.
वाकई आजकल अठन्नी में कुछ नहीं आता .. निगल लिया तो क्या!
ऊपर फोटो में फुलमतिया की हाथेली पर भगावन....अब ध्यान गया. यह फोटो किसी विश्व रिकार्ड से संबंधित है क्या?
खदेरन की बात ही निराली है .. अठन्नी के लिए परेशान होने की क्या जरूरत ??
aata to kuch nahi hai par jaaega jeevan, agar athanni gale mein atak jaae toh .... khaderan ko koi jagaooo ....
wow... :))
aaj ki bhautakwadi soch.
बेहतरीन व्यंग्य lol
haha..bahut badiya....
हा हा।
हे भगवान!!
ha ha ha ... sach hai bhai ..
:):)..वाकई अठ्ठनि में आता क्या है ...
धन्य हैं खदेरन!!
चिन्ता मत करो अब पचास का नोट निकाल लिया करेंगे!
अरे भई, बड़े-बड़े मंदिरों और पीठों मैं जाओ - वहाँ भगवान पता नहीं मुकुट और सिंहासन निगले बैठे हैं - आप अट्ठनी को रो रहे हैं..“दीपक बाबा की बक बक” क्रांति.......... हर क्षेत्र में......
हाहाहा...... क्या बात है!!
भगावन को कम-से-कम गिन्नी निगलनी चाहिए थी :))
जवाब देंहटाएंगिन्नी निगलता तो खदेरन-फुलमतिया उसे हथेली पर लिए-लिए घूमते....डॉक्टरों के यहाँ.
जवाब देंहटाएंवाकई आजकल अठन्नी में कुछ नहीं आता .. निगल लिया तो क्या!
जवाब देंहटाएंऊपर फोटो में फुलमतिया की हाथेली पर भगावन....अब ध्यान गया. यह फोटो किसी विश्व रिकार्ड से संबंधित है क्या?
जवाब देंहटाएंखदेरन की बात ही निराली है .. अठन्नी के लिए परेशान होने की क्या जरूरत ??
जवाब देंहटाएंaata to kuch nahi hai par jaaega jeevan, agar athanni gale mein atak jaae toh .... khaderan ko koi jagaooo ....
जवाब देंहटाएंwow... :))
जवाब देंहटाएंaaj ki bhautakwadi soch.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व्यंग्य lol
जवाब देंहटाएंhaha..
जवाब देंहटाएंbahut badiya....
हा हा।
जवाब देंहटाएंहे भगवान!!
जवाब देंहटाएंha ha ha ... sach hai bhai ..
जवाब देंहटाएं:):)..वाकई अठ्ठनि में आता क्या है ...
जवाब देंहटाएंधन्य हैं खदेरन!!
जवाब देंहटाएंचिन्ता मत करो अब पचास का नोट निकाल लिया करेंगे!
जवाब देंहटाएंअरे भई, बड़े-बड़े मंदिरों और पीठों मैं जाओ - वहाँ भगवान पता नहीं मुकुट और सिंहासन निगले बैठे हैं - आप अट्ठनी को रो रहे हैं..
जवाब देंहटाएं“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में.....
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हाहाहा...... क्या बात है!!
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