कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं। यहां वाकया उससे भी पहले का है। बात तब की है जब खदेरन और फूलमतिया जी का बेटा भगावन पैदा हुआ था। पैदा होते ही उसने नर्स से कहा, “मोबाइल फोन है आंटी आपके पास?” नर्स थोड़ा अकचकाई। फिर भी उसने पूछ ही लिया, “क्यों? है तो, पर तू क्या करेगा?” भगावन ने कहा, “भगवान को मिस कॉल करूंगा। उन्हें बताना है कि मैं पहुंच गया हूं!” |
भगवान को मिस कॉल करूंगा।
जवाब देंहटाएं..............बहुत खूब, लाजबाब !
nice
जवाब देंहटाएंमिस्ड कॉल की महिमा बच्चा जानता है. पूत के पाँव.... :))
जवाब देंहटाएंहा हा !!! लेकिन अगर नर्स के मोबाइल पर इंटरनेशनल कलिंग की सुविधा न हो तो फिर भगावन क्या करेगा ???
जवाब देंहटाएंभगावन ... द ... ग्रेट! सच तेरे पांव पालने में ही दिखाई देने लगे थे। मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
बेटी .......प्यारी सी धुन
कहीं रॉन्ग नम्बर त नहीं था ना???
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा।
जवाब देंहटाएंmaaf kijiye lekin sach kahoon, apne chutkulon ka star thoda upar karein...
जवाब देंहटाएंjinhone bahut achha , bahut khub aadi kaha hai kya unhein hansi bhi aayi yahi poochna chahunga....
gustakhi maaf....
ha... ha.. ha..... !
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
ha ha ha
जवाब देंहटाएंइस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
जवाब देंहटाएंएक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
वाह मजेदार ...
जवाब देंहटाएंvah...bahut hi achha...aaj pahli baar yahan aaya hun...ab aata rahunga.
जवाब देंहटाएंHA HA HA
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