किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
बुझावान : ये बताइए कि सामाजिक सक्रिय (ACTIVE SOCIALLY) किस तरह के लोगों को कहा जाता है?
बतावन : जम कर, सबके साथ मदिरापान करने (DRINKS A LOT) वाले को!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!साहित्यकार-6सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
मदिरापान करने वाले लोगों का जमावड़ा समाजिक रूप से सक्रिय कहलाता है....यह कड़ुवा सच मैंने पी लिया....सच तो सच है :))
सच तो सच है!बहुत अच्छी प्रस्तुति। या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!आंच-39 (समीक्षा) परश्रीमती ज्ञानवती सक्सेना ‘किरण’ की कविताक्या जग का उद्धार न होगा!, मनोज कुमार, “मनोज” पर!
mazedaar
:)ye to ham hi hain...
kya kahe
वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।
सच है!
.सच तो सच है :))
Ye baat theek kahi ...
कमाल की फुहार है जी ये तो ....................www.srijanshikhar.blogspot.com पर ' क्यों तुम जिन्दा हो रावण '
यह सक्रियता बहुत महँगी पड़ सकती है ...!
:))
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंया देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
साहित्यकार-6
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
मदिरापान करने वाले लोगों का जमावड़ा समाजिक रूप से सक्रिय कहलाता है....यह कड़ुवा सच मैंने पी लिया....सच तो सच है :))
जवाब देंहटाएंसच तो सच है!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
आंच-39 (समीक्षा) पर
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना ‘किरण’ की कविता
क्या जग का उद्धार न होगा!, मनोज कुमार, “मनोज” पर!
mazedaar
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंye to ham hi hain...
kya kahe
जवाब देंहटाएंवाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।वाह वाह।
जवाब देंहटाएंसच है!
जवाब देंहटाएं.सच तो सच है :))
जवाब देंहटाएंसच है!
जवाब देंहटाएंYe baat theek kahi ...
जवाब देंहटाएंकमाल की फुहार है जी ये तो ....................
जवाब देंहटाएंwww.srijanshikhar.blogspot.com पर ' क्यों तुम जिन्दा हो रावण '
यह सक्रियता बहुत महँगी पड़ सकती है ...!
जवाब देंहटाएं:))
जवाब देंहटाएंसच है!
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