किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो,
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सोमवार, 11 अक्तूबर 2010
हज़ामत!
हज़ामत!
खदेरन दाढी बनवाने नाई के पास पहुंचा। उसने बात करने की गरज़ से नाई से यों ही पूछ दिया, “तुमने कभी किसी गदहे की हज़ामत बनाई है?” नाई ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, “नहीं साहब! आज पहली बार बना रहा हूं”
ग़लत क्या कहा....यूँ ही बातें यूँ ही की जाती हैं. बढ़िया :))
जवाब देंहटाएंहा हा !! इसे कहते है जैसे को तैसा..
जवाब देंहटाएंमज़ेदार। हा-हा-हा......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
हज़ामत बनाने वाले क्या मेरे मन में आफ़त समाई!
जवाब देंहटाएंतूने मेरी भी हज़ामत बनाई...
तूने मेरी भी हज़ामत बनाई...!!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
वाह वाह।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जवाब :):)
जवाब देंहटाएंsahi jawab diya ha ha ha
जवाब देंहटाएंjaisa sawal waisa jawab heheheheh........
जवाब देंहटाएंwaah..
जवाब देंहटाएंbahut khub...
mere blog mein is baar...
एक और आईडिया....
bahut khoob........ha ha ha ha .....
जवाब देंहटाएंहा हा!! नाई को भी नया तजुर्बा मिल गया..:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया मनोरंजन!
जवाब देंहटाएंबढ़िया मनोरंजन!
जवाब देंहटाएंवाह बढ़िया जवाब
जवाब देंहटाएंक्या बात है। हाहाहाहा
जवाब देंहटाएंham to apni hajaamat khud hi banaa lete hain...
जवाब देंहटाएं:)