निबंध |
भगावन के क्लास टीचर का संदेश मिला कि अभिवावक आकर फ़ौरन मिलें। फुलमतिया जी और खदेरन दूसरे रोज़ पहुंचे खदेरन के स्कूल। रास्ते भर खदेरन और फुलमतिया जी भगावन से पूछते रहे कि आखिर माज़रा क्या है, यूं अचानक क्लास टीचर ने उन्हें क्यों बुलाया है, पर भगावन कुछ भी नहीं बता सका। जब वे क्लास टीचर के सामने हाज़िर हुए तो उसने पूछा, “मिस्टर खदेरन, ये निबंध, कुत्ते पर आपके बेटे ने कल सबमिट किया था।” खदेरन ने जवाब दिया, “जी हां।” क्लास टीचर ने आगे पूछा, “ये क्योंकर संभव हुआ कि यह निबंध हूबहू उसी तरह का है जिस तरह का निबंध पिछले साल आपकी बेटी ने सबमिट किया था जब वह मेरे क्लास में थी।” इससे पहले कि खदेरन कुछ सफ़ाई देता फुलमतिया जी बोल पड़ी, “तो इसमें हैरान होने की क्या बात है? कुत्ता भी तो हूबहू वही है!” |
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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010
निबंध
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सही तो है. कुत्ता तो स्वतः परिभाषित है :))
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो,
जवाब देंहटाएंफसले कम रखो दिल मिलाते रहो।
सच्ची बात तो कही :):)
जवाब देंहटाएंदेखा फूलमतिया जी कितनी समझदार है |
जवाब देंहटाएंbahut badia.......
जवाब देंहटाएंबढिया निबंध है।
जवाब देंहटाएंआप कैरेक्टर्स के नाम बड़े मज़ेदार रखती हैं ,भगावन,खदेरन, फुलमतिया और जाने क्या क्या. नाम से ही हंसी आती है.ये भी आपमें एक कला है.
जवाब देंहटाएंकुँवर कुसुमेश
ये भी अच्छी रही ... समझने वाली बात है ..
जवाब देंहटाएंसही तो है.
जवाब देंहटाएंये भी अच्छी रही ..
जवाब देंहटाएंसच्ची बात तो कही :):)
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया निबंध है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसही तो बोल पड़ी फुलमतिया जी
जवाब देंहटाएंनमसकार!
जवाब देंहटाएंआज पहली बार आप के ब्लॉग पर आ रहा हूँ।
यह चुटकुला और पिछले कुछ तीन -चार चुटकुले पढकर आनन्द उठाया।
अब तो यहाँ बार बार आएंगे।
कार्यालय में दिन भर की थकान और अन्य मित्रों के ब्ब्लॉग साइटों पर भारी भरकम लंबे और बौद्धिक लेख पढने के बाद यहाँ आकर थोडा unwind करने का प्रोग्राम बना लिया है।
बस हम सब को यूँ ही हंसाते रहिए।
Laughter is good for health
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
(बेंगलूरु स्थित आपका नया पाठक)
aapka must must nibandh(essay)
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