बात तब की है जब भगावन एक साल का था।
एक दिन भगावन ने अठन्नी निगल ली। फुलमतिया जी ने खदेरन को बताया, “अजी सुनते हो! भगावन ने अठन्नी निगल ली!”
खदेरन अपनी धुन में मस्त था। बोला, “इसमें फ़िक्र करने की क्या बात है? आजकल अठन्नी में आता क्या है?”
बात तब की है जब भगावन एक साल का था।
एक दिन भगावन ने अठन्नी निगल ली। फुलमतिया जी ने खदेरन को बताया, “अजी सुनते हो! भगावन ने अठन्नी निगल ली!”
खदेरन अपनी धुन में मस्त था। बोला, “इसमें फ़िक्र करने की क्या बात है? आजकल अठन्नी में आता क्या है?”
चोर अंकल! |
एक दिन खदेरन के घर में चोर घुस आया। घर के सभी लोग बेसुध होकर सोए थे। तभी भगावन की आंख खुल गई। उसने चोर को देखा। उसकी नीयत भांपते भगावन को देर न हुई। वह बोला, “चोर अंकल! आपने अपने बोरे में रखकर अगर मेरे स्कूल बैग और पुस्तकें न ले गए तो मैं घर के सारे लोगों को जगा दूंगा!” |
भगावन और रिझावन एक दिन स्कूल से छुट्टी के बाद घर वापस आ रहे थे। तो गर्मी पर चर्चा चल पड़ी।
भगावन ने रिझावन से पूछा, “यार जब तुझे ज़्यादा गर्मी लगती है तो उस समय तू क्या करता है?”
रिझावन, “यार, ए.सी. के पास बैठ जाता हूं।”
भगावन, “गर्मी फिर भी लगे तो…..?”
रिझावन, “… तो मैं ए.सी. ऑन कर लेता हूं।”
बात तब की है जब खदेरन की फुलमतिया जी से शादी नहीं हुई थी।
उसे बगल के मोहल्ले की एक लड़की पसंद आ गई। दो-चार दिन खदेरन उसके आगे-पीछे घूमा। लड़की ने भी उसे देख कर हंस मुस्कुरा दिया। खदेरन उस पर फ़िदा हो गया। यार-दोस्तों से सलाह-मशवरा किया उसने।
दोस्तों ने कहा, “देख यार है तो वो बड़ी ख़ूबसूरत और कई लड़के उसके आगे-पीछे घूमते हैं। तूने अगर देरी की तो समझ गई तेरे हाथ से वो।”
खदेरन को सलाह अच्छी लगी। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे? उसने दोस्तों से ही पूछा, “क्या करूं? मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। तुम लोग ही बताओ।”
उन्होंने सलाह दी, “झट से उसके पिताजी से उसका हाथ मांग ले।”
खदेरन को यह सलाह भी पसंद आई। पहुंच गया उस लड़की के घर। उसके पिताजी गार्डेन में ही थी। उनको दुआ-सलाम किया। तो वे चौंके और बोले, “तू कौन?”
खदेरन बोला, “मैं खदेरन! पड़ोस के मोहल्ले में रहता हूं। आपकी बेटी मुझे पसंद आ गई है। मैं उसे दिल-ओ-जान से चाहता हूं। आप उसका रिश्ता मुझसे तय कर दें।”
लड़की के पिताजी बोले, “अच्छा तो वो तू है! तो मेरी बेटी तेरे बारे में कहती थी कि कुछ दिनों से एक लड़का उसके चक्कर काट रहा है।”
उसके बाद, मत पूछिए। लड़की के पिता ने उसे ख़ूब मारा-पिटा।
पिटाई खाकर खदेरन उठा, कपड़े झाड़े और बोला, “तो फिर मैं इसे इंकार समझूं … … ?”
एक दिन फाटक बाबू खदेरन को अपने पुराने दिनों के किस्से सुना रहे थे। खदेरन को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि फाटक बाबू को बिज़नेस का भी बड़ा तगड़ा अनुभव है।
खदेरन ने ज़िद की, “फाटक बाबू अपने धंधे के बारे में डिटेल में बताइए न!”
फाटक बाबू बोले, “क्या बताऊं? अब तो ये सब भूले-बिसरे दिनों की बातें हैं।”
खदेरन बोला, “यही बताइए न कि बिज़नेस का अनुभव आपने कैसे प्राप्त किया?”
फाटक बाबू को बताना पड़ा, “जब मैंने बिज़नेस शुरु किया, तो …..”
खदेरन ने उत्सुकता से पूछा, “अकेले शुरु किए थे?”
फाटक बाबू बोले, “नहीं, अकेले कैसे होता सब, एक पार्टनर भी तो रखना पड़ा था।”
खदेरन ने कहा, “फाटक बाबू आप तो इतने गुणी हैं, फिर भी आपको पार्टनर की ज़रूरत पड़ी?”
फाटक बाबू ने समझाया, “अरे गुण तो अनुभव से आता है न! जब मैंने बिज़नेस शुरु किया, तो ….. उस समय मेरे पास पूंजी तो थी पर इस बिज़नेस वाले लाइन का अनुभव नहीं था न। इसलिए हमको एक अनुभवी पार्टनर रखना पड़ा।”
समझने के बाद खदेरन बोला, “अच्छा! बड़ा अच्छा किया। त उस पार्टनर के पास बिज़नेस का अच्छा अनुभव था?”
फाटक बाबू बोले, “हां बड़ा अनुभवी था वह, इस लाइन का!”
खदेरन की आंखों में खुशी की लहर दौड़ गई। फिर पूछा, “तब त फाटक बाबू, आपकी पूंजी और उसके अनुभव के अद्भुत मेल से आपका धंधा खूब चमका होगा!”
फाटाक बाबू बताए, “हा! भाई! खूब चमका! इतना चमका कि आखिर में उसके पास सारी पूंजी और मेरे पास ढेर सारा अनुभव हो गया!!”
खदेरन एक दिन एकदम फटेहाल अवस्था में घर से बाहर खड़ा था। उसके चेहरे पर जगह-जगह लाल-काले निशान पड़े हुए थे। कई जगह तो सूजन भी आ चुकी थी। चेहरा उतरा हुआ था। सूरत रुआंसी थी।
फाटक बाबू की नज़र उसपर पड़ी। आश्चर्यचकित रह गए फाटक बाबू। उन्होंने खदेरन से पूछा,
“खदेरन भाई! अपने घर के बाहर क्यों खड़े हो? … और यह चोटें कैसे लगी?”
खदेरन बोला,
“हुआ यूं कि …….”
आगे कुछ खदेरन बोले उसके पहले ही फाटक बाबू ने उसकी बात काटते हुए कहना शुरु कर दिया,
“कितनी बार तुझसे कहा कि लोगों से झगड़ा मत किया करो। मगर मेरी बातों का तुम पर कोई असर थोड़े ही होता है। कमबख़्तों ने मार-मार कर तेरा कितना बुरा हाल कर दिया है?! बुरा हो उसका … कीड़े फड़े उसके। ……”
अब बारी खदेरन की थी। फाटक बाबू को आगे बोलने से रोकते हुए खदेरन बोला,
“बस-बस …. बंद कीजिए फाटक बाबू! मैं फुलमतिया जी के बारे में और ग़लत बातें नहीं सुन सकता!”
क्लास में झपकियां |
भगावन को एक दिन क्लास में बहुत जोर की नींद आ रही थी। बार बार नींद के थपेड़ो से उसका सिर सामने की ओर झुक जाता है। शिक्षिका ने कहा, “भगावन तुम क्लास में झपकियां ले रहे हो।” भगावन ने कहा, “नहीं मैम!” शिक्षिका ने कहा, “मैं सब देख रही हूँ। तुम्हारा सिर बार बार सामने की ओर झुक रहा है।” भगावन ने सफाई दी, “ओह वह मैम! वह तो गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण।……” |
बुझावन के प्रश्न, बतावन का जवाब-10 |
बुझावान : ये बताइए कि सोच-समझ कर, निर्णय लेने वाला अधिकारी (CAREFUL THINKER ) किस तरह के लोगों को कहा जाता है? बतावन : कोई निर्णय नहीं लेने वाले को! (WON’T TAKE A DECISION)
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जन्म दिन |
आज है जन्म दिन मेरा ‘खूब धूम मचाएंगे सखी-सहेलियों को बुलाएंगे नाचेंगे, गाएंगे’ कल रात सोच-सोच कर यही सोई थी पर सुबह जब आंख खुली तो फूट-फूट कर खूब रोई थी क्योंकि बिस्तर पर जाते ही मैं सो गई और एक मीठे और मधुर सपने में खो गई ख़्वाब में मैंने एक केक खाया था गुदगुदा कुछ ज़ायका विचित्र पाया था आंखें जब खुली तो तकिए का एक कोना कटा पाया था! |
आपसे गुज़ारिश है इस नाचीज़ को कमअक़्ल को व्यर्थ में अपनी भावनाएं न दें जन्मदिन तो हर साल आते ही रहते हैं फ़ालतू शुभकामनाएं न दें वरना आपकी होगी टिप्पणी : जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं मतलब : (होगा) हुंह, टिप्पणी लेने का एक और नुस्ख़ा! ये महिलाएं भी लटके झटके खूब जानती है ब्लॉगसिंधु से टिप्पणियां खूब छानती हैं न तो मैंने ऊंची-विदेशी शिक्षा पाई न कोई महात्वाकांक्षा मन में समाई और न ही ज़्यादा नाम कमाने की चाहत है पर आज मन आहत है मैथिली जैसे उपेक्षित विषय से बीए की पढाई के बैकग्राउंड से ब्लॉग जगत में आई हंसने-हसाने की मुहिम चलाई जो मिला जहां से मिला जगह-जगह से इकट्ठा किया हंसने-हंसाने का नुस्खा सबको बांट दिया मानती हूं, इसमें नहीं कुछ मेरा अपना था पर हंसी हो हर चेहरे पर यह सपना था बनाया सजाया यह “हास्य फ़ुहार” और .. फिर सोचा इसका हो कैसे प्रचार जाने लगी लोगों के घर, द्वार कुछ तो आता नहीं था क्या बोलती, कर न पाती कोई स्तुति इसलिए कह देती ”बहुत अच्छी प्रस्तुति!” आप गुणी ब्लॉगरों से गुजारिश है एक ब्लॉग ऐसा बनाएं जिसपर टिप्पणी कैसे और क्या करें बताएं, सिखाएं जिससे, हम जैसे कमअक्लों को अक्ल आ जाए हास्य से छाए न छाए टिप्पणी से ही नाम कमा जाए! टिप्पणी से ही नाम कमा जाए! टिप्पणी से ही नाम कमा जाए! |
सर दर्द |
पढते हुए अखबार एक खबर पर खदेरन की नज़र गई जो लिखी थी बात वह मन में घर कर गई मन ही मन सोचा ‘फुलमतिया जी को भी यह बता ही दूं मैं भी रखता हूं अकल जता ही दूं!’ बोला “जानती हैं आप डॉक्टरों का शोध यह बताता है कि रोग शरीर के कमज़ोर हिस्सों पर ही क़ब्ज़ा जमाता है!” फुलमतिया जी ने नज़रें घुमाई खदेरन की आखों से आंखें मिलाई बोली, “अच्छा, सच कहते हो! तभी कहूं कि तुम हमेशा क्यों सर दर्द की शिकायत करते रहते हो!!” |
कितने पैसे? |
खदेरन एक बार आगरा घूमने गया। स्टेशन से बाहर आते ही उसे फूलमतिया जी की सख़्त हिदायत याद आ गई। ‘तुम्हें सब ठग लेते हैं। किसी ऑटो रिक्शा में बैठने के पहले भाड़ा पूछ कर बैठना’! उसने एक ऑटो रिक्शा वाले से कहा, “क्यों भाई ताजमहल के कितने पैसे लोगे?” ऑटो रिक्शा वाले ने फट से जवाब दिया, “बाबूजी! मैं ताजमहल का मालिक थोड़े ही हूं, जो उसे आपको बेच दूंगा!” |
बुझावन के प्रश्न, बतावन का जवाब-9 |
बुझावान : ये बताइए कि सामाजिक सक्रिय (ACTIVE SOCIALLY) किस तरह के लोगों को कहा जाता है?
बतावन : जम कर, सबके साथ मदिरापान करने (DRINKS A LOT) वाले को! |
दौलत की वजह से! |
आपको कुछ दिन पहले बताया था कि खदेरन के शादी ठीक हो रही थी तो क्या हुआ और फिर कैसे उसकी नज़र फुलमतिया जी की दौलत पर टिकी थी। (लिंक) यह बात फाटक बाबू को मालूम हुई। वे तो बस गुस्से से बिफ़र ही पड़े। पहुंचे खदेरन की खोज खबर लेने। पूछा, “सुना है तुम फुलमतिया जी की दौलत, संपत्ति और बैंक बैलेंस के लिए उनसे शादी कर रहे हो?” खदेरन ने कहा, “हां, ठीक ही सुना है।” फाटक बाबू का गुसा और बढा, बोले, “खदेरन! यह तो बड़ी ग़लत बात है!” खदेरन ने स्पष्ट किया, “अच्छा फाटाक बाबू आप ही बताइए कि क्या यह ग़लत बात नहीं होगी किए अपनी दौलत की वजह से फुलमतिया जी कुंआरी रह जाएगी।” |
निबंध |
भगावन के क्लास टीचर का संदेश मिला कि अभिवावक आकर फ़ौरन मिलें। फुलमतिया जी और खदेरन दूसरे रोज़ पहुंचे खदेरन के स्कूल। रास्ते भर खदेरन और फुलमतिया जी भगावन से पूछते रहे कि आखिर माज़रा क्या है, यूं अचानक क्लास टीचर ने उन्हें क्यों बुलाया है, पर भगावन कुछ भी नहीं बता सका। जब वे क्लास टीचर के सामने हाज़िर हुए तो उसने पूछा, “मिस्टर खदेरन, ये निबंध, कुत्ते पर आपके बेटे ने कल सबमिट किया था।” खदेरन ने जवाब दिया, “जी हां।” क्लास टीचर ने आगे पूछा, “ये क्योंकर संभव हुआ कि यह निबंध हूबहू उसी तरह का है जिस तरह का निबंध पिछले साल आपकी बेटी ने सबमिट किया था जब वह मेरे क्लास में थी।” इससे पहले कि खदेरन कुछ सफ़ाई देता फुलमतिया जी बोल पड़ी, “तो इसमें हैरान होने की क्या बात है? कुत्ता भी तो हूबहू वही है!” |
हज़ामत! |
खदेरन दाढी बनवाने नाई के पास पहुंचा। उसने बात करने की गरज़ से नाई से यों ही पूछ दिया, “तुमने कभी किसी गदहे की हज़ामत बनाई है?” |
जानवरों में लड़ाई! |
जंगल में एक चूहा बड़ी तेजी से भागा जा रहा था। खरगोश ने उसे इस तेजी से भागते देखा तो उसे रोक कर भागने का कारण पूछा। चूहा ने बताया “अरे भीतर जंगल के जानवरों में लड़ाई हो गई है। हाथी को किसी ने थप्पड़ मार दिया है। सभी मुझपर शक कर रहे हैं।” |
आज सिर्फ़ एक चित्र…बताइए इस चित्र का शीर्षक क्या हो? …. शीर्षक ऐसा हो जिससे हास्य का सृजन हो… |
एक शीर्षक तो मैं ही दे रही हूं …गेम इज़ ऑन…!! |
एक मुस्कान ही शांति की शुरुआत है! |
बुझावन के प्रश्न,बतावन का जवाब!-10 |
बुझावन : अच्छा ये बताओ कि सरकारी दफ़्तर में RELAXED ATTITUDE वाला व्यक्ति किसे कहा जाता है?बतावन : वो जो डेस्क पर ही सो जाता है। |
संपत्ति और बैंक बैलेंस |
शादी ठीक होने के बाद की बात है। फुलमतिया जी से उसके पिता दहारन सिंह ने कहा, “बेटी, मुझे यह तो मालूम होना चाहिए कि जिससे तूने शादी करने का फ़ैसला लिया है, क्या कहा था, खदेरन, हां खदेरन, उसकी संपत्ति कितनी है, क्या व्यवसाय है और कितना बैंक बैलेंस है?” फुलमतिया जी बोलीं, “पापा! आपके और खदेरन के विचार कितने मिलते-जुलते हैं। वे भी पूछ रहे थे कि अंदाजन तुम्हारे पिता की कितनी संपत्ति और बैंक बैलेंस हो सकता है।” |