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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

रिश्ते की चाहत!

रिश्ते की चाहत!

बात तब की है जब खदेरन की फुलमतिया जी से शादी नहीं हुई थी।

उसे बगल के मोहल्ले की एक लड़की पसंद आ गई। दो-चार दिन खदेरन उसके आगे-पीछे घूमा।  लड़की ने भी उसे देख कर हंस मुस्कुरा दिया। खदेरन उस पर फ़िदा हो गया। यार-दोस्तों से सलाह-मशवरा किया उसने।

दोस्तों ने कहा, “देख यार है तो वो बड़ी ख़ूबसूरत और कई लड़के उसके आगे-पीछे घूमते हैं। तूने अगर देरी की तो समझ गई तेरे हाथ से वो।”

 

खदेरन को सलाह अच्छी लगी। पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे? उसने दोस्तों से ही पूछा, “क्या करूं? मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। तुम लोग ही बताओ।”

उन्होंने सलाह दी, “झट से उसके पिताजी से उसका हाथ मांग ले।”

खदेरन को यह सलाह भी पसंद आई। पहुंच गया उस लड़की के घर। उसके पिताजी गार्डेन में ही थी। उनको दुआ-सलाम किया। तो वे चौंके और बोले, “तू कौन?”

खदेरन बोला, “मैं खदेरन! पड़ोस के मोहल्ले में रहता हूं। आपकी बेटी मुझे पसंद आ गई है। मैं उसे दिल-ओ-जान से चाहता हूं। आप उसका रिश्ता मुझसे तय कर दें।”

images (5) लड़की के पिताजी बोले, “अच्छा तो वो तू है! तो मेरी बेटी तेरे बारे में कहती थी कि कुछ दिनों से एक लड़का उसके चक्कर काट रहा है।”

उसके बाद, मत पूछिए। लड़की के पिता ने उसे ख़ूब मारा-पिटा।

पिटाई खाकर खदेरन  उठा, कपड़े झाड़े और बोला, “तो फिर मैं इसे इंकार समझूं … … ?”

24 टिप्‍पणियां:

  1. भोला खदेरन - अति भोला प्रश्न :))

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. जवाब पर तो हक़ बनता है इंसान का, बुनियादी हक़!!

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  4. समझदार के लिए इशारा काफी होता, मियां खदेरन को कोड़ा भी लगे थोडा ...

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  5. पूछ तो लेना ही था, हो सकता है कि गुस्सा शान्त हो गया हो।

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  6. बहुत खूब.
    अब कभी ये भी बता दीजियेगा की खदेरन जी ने फूलमतिया जी से लव मैरिज की है या अरेंज :)

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  7. सही तो है बेचारा पीटने से ये थोड़ी पता चलाता है की जवाब ना में है हो सकता है खदेरन को आजमा रहे हो पिट कर |

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  8. हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी, वैसे आखिर में एक बार फिर से पूछ लेना बनता है.... :-)

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  9. पिटाई खाकर खदेरन उठा, कपड़े झाड़े और बोला, “तो फिर मैं इसे इंकार समझूं … … ?

    climax मजेदार है.

    कुँवर कुसुमेश

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  10. यह तो कुछ नहीं है, जी।
    लडकी पटाने के लिए तो लोग चाँद तारे भी तोड ले आते हैं।
    सात समुंदर पार के पहाडों पर चढने के लिए तैयार हो जाते हैं।
    एक मामूली पिटाइ से क्या।
    खदेरन तो बडा अच्छा optimist निकला।

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  11. पूछ लेने से तसल्ली तो हो जायेगी कम से कम..पिट तो लिए ही हैं.

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  12. वैसे जबाब क्या दिया आखिर में पिता जी ने???

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  13. पिटने के बाद भी जवाब की चाह..... बहुत खूब, लाजवाब. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  14. .

    बड़ा बेआबरू होकर उसके कुचे से निकला बेचारा। !
    लेकिन हिम्मत नहीं हारा।

    उम्मीद की शम्मा जलाए हुए है।

    .

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  15. 6/10

    अच्छा हास्य / मुस्कुराने को बाध्य करती पोस्ट
    खदेरन जिस तरह का किरदार नजर आता है, उससे उम्मीद यही है कि वो अभी तीन-चार दिन ट्राई और करेगा :)

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  16. मान गए खदेरन.... पीट जाओ , कूट जाओ, पर हार मत मानो..........:)

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