खदेरन का बेटा है भगावन। आप भूले तो नहीं ही होंगे।
परीक्षा का परिणाम कल आ गया था। आज वह स्कूल जा रहा था। रास्ते में उसका दोस्त भोलू मिल गया। कल जो रिजल्ट आया था उसमें भोलू की कोई अच्छी स्थिति नहीं थी।
अब दोनों दोस्त की बात सुनिए …
“अरे भोलू इधर आ .. अकेले-अकेले क्यूं जा रहा है?”
“नहीं यार! बस ऐसे ही .. कोई खास बात नहीं है।”
“अच्छा यार! अरे यार भोलू, तुम्हारा तो रिजल्ट खराब आ गया।”
“तो क्या हुआ? मैं कोई डरता हूं क्या किसी से ..”
“नहीं वो तुम्हारे पिता पुलिस में हैं ना … तो ’… ”
“तो … तो क्या …”
“पुलिस वाले बड़े सख़्त होते हैं ना।”
“हां सो तो है … पर मैंने सब मैनेज कर लिया ..”
“अच्छा .. ! वो कैसे .. क्या हुआ … बता ना ..?”
“बताता हूं, सुनो … जब मैं घर पहुंचा तो पिता जी, अभी अभी थाने से आए थे और पुलिसिया वर्दी में ही थे। उन्होंने मुझसे कुछ पूछा नहीं, बल्कि बताया, उन्हें पहले से ही मालूम था, बोले … ‘बेटा, तुम्हारा रिजल्ट खराब आया है। आज से तुम्हारा खेलना, टीवी देखना बन्द। …”
भगावन ने उत्सुकता से पूछा, “अच्छा … फिर …”
भोलू ने बताया, “फिर क्या मैं भी तो पुलिस इंसपेक्टर का ही बेटा हूं ना, पुलिस वालों को मैनेज करने के सारे फॉर्मूले जानता हूं, मैंने कहा, ये लो, … पचास रुपए पकड़ो और इस बात को यहीं रफ़ा-दफ़ा करो …!”